शहरी एवं ग्रामीण
छात्र-छात्राओं
के मानसिक स्वास्थ्य
का तुलनात्मक अध्ययन
रविन्द्रनाथ
मिश्रा1’, पूर्णेन्द्र
कुमार वर्मा2
1क्रीडा अधिकारी, शास. पी.जी. महाविद्यालय, महासमुंद
2क्रीडा अधिकारी, सेन्चुरी सीमेन्ट महाविद्यालय, बैकुंठ
सारांश-
प्रस्तुत अध्ययन का उद्देष्य शहरी एवं ग्रामीण छात्र-छात्राओं के धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य का तुलनात्मक अध्ययन करना है। उपरोक्त अध्ययन हेतु छत्तीसगढ़ राज्य से 50 शहरी छात्राओं (औसत आयु 17.43) 50 ग्रामीण छात्राओं (औ.आयु 17.03), 50 शहरी छात्र (औसत आयु 17.24) तथा 50 ग्रामीण छात्रों (औसत आयु 17.46) का चयन किया गया चयनित न्यादर्ष के मानसिक स्वास्थ्य का आंकलन करने हेतु हेडली (1977) के माडल के अनुरुप आगासे एवं हेलोडे (1988) द्वारा निर्मित धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य प्रष्नावली का प्रयोग किया गया है। अध्ययन के प्राप्त परिणाम दर्षाते है, कि शहरी छात्राओं मे शहरी तथा ग्रामीण छात्र तथा ग्रामीण छात्राओं की तुलना में अधीक धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य पाया गया।
प्रस्तावना
मानसिक स्वास्थ्य मनुष्य के व्यक्तित्व का संतुलित विकास है, और वह संवेगात्मक दृष्टिकोण है जो उसे अपने आस-पास के लोगों के साथ सहृदयतापूर्वक रहने योग्य बनाता है मानसिक स्वास्थ्य केवल लोगों के आपस का सम्बंध ही नही अपितु उस समाज के लोगों व अन्य व्यक्तिगत सम्बधो की विषय वस्तु भी है, जिसमें व्यक्ति जीता है। समाज और सामाजिक संस्थाओं के प्रति, उसका दृष्टिकोण भी है जो उसके जीवन को निर्देषित करता है और इस बात को निष्चित करता है कि वह कैसे प्रसन्नता स्थायित्व और सुरक्षा पाता है।
मानसिक स्वास्थ्य शब्द का प्रयोग मनोचिकित्सक मनोवैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं इत्यादि बहुतायत से करते है। परन्तु, अधिकतर यह प्रयोग नकारात्मक ही होता है । क्योकि उन सभी को मानसिक रुप से स्वस्थ मान लिया जाता है जिनमें कोई मानसिक व्याधि चिन्हित नही की जा सकती।
मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र की सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि स्वास्थ्य एवं रोग के बीच कोई विभाजन रेखा नही है। मानसिक रुप से स्वस्थ व्यक्तियों में भी किसी न किसी मात्रा में वह सभी व्यवहार विद्यमान होते है, जो साधारण तथा मानसिक अस्वस्थता इंगित करते है। उदाहरणतया, थोड़ा संदेह बहुत से व्यक्ति जीवन में कभी न कभी अवष्य ही अनुभव करते है, परन्तु यदि संदेह में अत्यधिक वृद्धि हो जावे और यह पूर्णतया असम्बधित व्यक्तियों पर भी होने लगे, तब यह मानसिक रोग का ही लक्षण होता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि असामान्य व्यवहार सामान्य से बहुत अधिक भिन्न नहीं है।
पी.वी. ल्युकन के अनुसार -
”मानसिक रुप से स्वस्थ व्यक्ति वह है जो स्वयं सुखी है अपने पड़ोसियों में शांतिपूर्वक रहता है, अपने बच्चों को स्वस्थ नागरिक बनाता है और इन आधारभूत कर्तव्यों को करने के बाद भी जिसमें इतनी शक्ति बच जाती है कि वह समाज के हित के लिए कुछ भी कर सकें“ स्वस्थ रहने पर व्यक्ति अपने परिवेष से भली प्रकार समंजन कर पाता है और अपने परिवार की तथा अपने समाज की उन्नति के लिए कोषिष करता है।
जिस व्यक्ति में निम्नलिखित गुण होते है उसे मानसिक रुप से स्वस्थ कहते हेः-
1. चिंता रहित व्यक्ति
2. पूर्ण रुप से समायोजित
3. पूर्ण रुप से आत्म नियंत्रित
4. आत्म विष्वास
5. संवेगात्मक स्थिरता
6. जीवन के प्रति दर्षन
7. आत्म क्षमताओं को स्वीकारना
पूर्व में किये गये अध्ययनों में ।दजवबी ;1984द्ध ने मानसिक स्वास्थता तथा सामाजिक उत्सुकता के संबंध में खोज, ज्ञपतरवदमद दक ज्मसंतदं ;1984द्ध में शारीरिक तीव्रता तथा मानसिक स्वास्थ्य के आपसी संबधों की जाच, भ्मंकल मजंसस ;1985द्ध ने विष्वविद्यालय के 272 छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन किया मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अब तक किये गये अध्ययनों से यह विदित होता है कि अनुसंधानकर्ताओं ने मानसिक स्वास्थ्य के केवल ऋणात्मक पहलुओं पर ही कार्य किया है । मानसिक स्वास्थ्य के धनात्मक पहलुओं पर किये गये कार्य नगण्य है। अतः प्रस्तुत अध्ययन मे शहरी एवं ग्रामीण छात्र-छात्राओं के धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन करना तय किया गया।
अध्ययन का उद्देष्य -
प्रस्तुत अध्ययन का उद्देष्य शहरी एवं ग्रामीण छात्र-छात्राओं के धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य का तुलनात्मक अध्ययन करना है।
परिकल्पना-
प्रस्तुत अध्ययन हेतु यह परिकल्पना स्थापित किया गया है कि शहरी एवं ग्रामीण छात्र-छात्राओं के मध्य मानसिक स्वास्थ्य आयाम पर सार्थक भिन्नता पायी जायेगी।
अध्ययन पद्धति-
अध्ययन के उद्देष्यों की पूर्ति के लिए अध्ययनकर्ता द्वारा निम्नलिखित अध्ययन पद्धति का चयन किया गया:-
न्यादर्ष -
उपरोक्त अध्ययन हेतु छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिल से 50 शहरी छात्राएं (औसत आयु 17.43) 50 ग्रामीण छात्राएं (औसत आयु 17.03) 50 शहरी छात्र (औसत आयु 17.24) तथा 50 ग्रामीण छात्र (औसत आयु 17.46) का चयन यादृच्छिक विधि से किया गया।
परीक्षा विधि-
धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य परीक्षणः चयनित न्यादर्ष के धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य के आकलन करने के लिए आगाषे एवं हेलोडे (1988) द्वारा निर्मित त्रिआयामी इस परीक्षण में स्वयं स्वीकारोक्ति ;ैमस िंबबमचजंदबमद्धए अहं-षक्ति ;म्हव.ेजतमदहजीद्ध जीवन-दर्ष्रन ;च्ीपसवेवचील व िसपमिद्ध के कुल 36 प्रष्नों की इस प्रष्नावली का प्रयोग किया गया। हिन्दी में उपलब्ध इस प्रष्नावली की वैधता 0.72 है।
प्रकिया-
चयनित न्यादर्ष के धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य आयाम पर आंकड़ो का संकलन करने के लिए अनुसंधानकर्ता ने निम्नलिखित प्रक्रिया का सहारा लिया ह ैः-
अनुसंधानकर्ता सर्वप्रथम चयनित न्यादर्षो को अध्ययन के उद्देष्यों की जानकारी देकर उन्हे इस बात के लिए आष्वस्त किया कि न्यादर्ष द्वारा दिये गये उत्तर गोपनीय रखे जायेगंे तथा उसका प्रयोग केवल षोध के प्रयोजन के लिए ही किया जायेगा।
इसके पष्चात् प्रत्येक न्यादर्ष को धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य प्रष्नावली दी गयी।
धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य प्रष्नावली पर प्राप्त उत्तरांे कि जांच प्रष्नावली निर्माता द्वारा सुझाई गई विधि द्वारा कि गयी एवं प्राप्त आकड़ो को उनके समूहांे के अनुसार सारणीकृत करने के पष्चात् अध्ययन हेतु बनायी गई परिकल्पना की जांच उपयुक्त सांख्यिकी विधि द्वारा की गयी। प्र्र्र्राप्त परिणाम तालिका क्रमांक 1 में प्रस्तुत किये गये हैं:-
तालिका क्रमांक 1 में दर्षित जत्र 4.23 इस बात का संकेत हैं कि षहरी छात्राओं ने मानसिक स्वास्थ्य आयाम पर (22.78 ), शहरी छात्रों (19.84) की तुलना में .01 के सार्थकता स्तर पर अपनी श्रेष्ठता प्रदर्षित की। इसी तरह षहरी छात्राओं ने ग्रामीण छात्रों (20.04) की अपेक्षा अधिक मानसिक स्वास्थ्य दर्षाया जत्र3ण्61 जो कि ण्01 के सार्थकता स्तर पर हैं इस तथ्य की पुष्टि करता हैं। तालिका में दर्षित 3.16 जो कि .01 के सार्थकता स्तर पर हैं यह सिद्ध करता है कि षहरी छात्राओं का मानसिक स्वास्थ्य ग्रामीण छात्राओं (20.38) की तुलना में बेहतर है।
निष्कर्ष-
धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य मनोविज्ञान का महत्वपूर्ण विषय है। मनोवैज्ञानिको का मानना है कि स्वस्थ षरीर के लिए व्यक्ति को मानसिक रुप से भी पूर्णतः स्वस्थ होना चाहिए, जिससे वह विभिन्न परीस्थितियों में सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ सके। यदि छात्र-छात्राओं का चयन के बारे में आकलंन अच्छा हो तो वह हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्षन कर सकते है प्रस्तुत अध्ययन में शहरी छात्राओं ने शहरी तथा ग्रामीण छात्रों तथा ग्रामीण छात्राओं से अच्छा धानत्मक मानसिक स्वास्थ्य का प्रदर्षन किया है निष्कर्षतः धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य के परिप्रेक्ष्य में विष्लेषण करने पर अध्ययनकर्ता यह महसूस करता है कि ग्रामीण छात्र-छात्राओं को विभिन्न क्षेत्रो में अच्छे प्रदर्षन करने के लिए अपने धनात्मक मानसिक स्वास्थ्य का विकास करना चाहिए ।
संदर्भ-सूची
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Received on 08.06.2014 Modified on 17.06.2014
Accepted on 19.06.2014 © A&V Publication all right reserved
Int. J. Ad. Social Sciences 2(2): April-June, 2014; Page 111-113